कार्यालयी हिंदी तथा सामान्य हिंदी का संबंध

Knowledge point by Abhay maurya

कार्यालयी हिंदी तथा सामान्य हिंदी का संबंध :-

भाषा संप्रेषण का सबसे बड़ा माध्यम है भाषा आगे चलकर उसे भाषा को बोलने वाले का सामाजिक सांस्कृतिक आर्थिक और साहित्यिक के विकास का माध्यम बनती है एक और भाषा अपनी अभिव्यक्ति के सक्षम और सार्थक हो जाती है इसी और इसकी और प्रयोग की क्षेत्र के अनुसार उसे भाषा को अलग-अलग विकास होता है एक और तो सामान हिंदी के रूप में आमजन भाषा द्वारा बोली जाने वाली हिंदी तथा इसका रूप कार्यालयी हिंदी है इस प्रकार हम देखते हैं कि कार्यालयी हिंदी और सामान्य हिंदी मैं अनेक संबंध दिखाई पड़ती है जो निम्नलिखित है 
1. साहित्यिक भाषा सर्वोत्तम व्यापक है ज्ञान विज्ञान उपयोगी व्यापार वाणिज्य कार्यालय न्यायालय सर्वत्र जगह भाषा का प्रयोग किया जाता है वह भाषा ही प्रयोजन की पूर्वी के लिए सशक्त होना चाहिए। 
2. सामान्य हिंदी भाषा अनेक क्षेत्रों में नव का काम देती है पर उसे न्यू के ऊपर भवन निर्माण के लिए कार्यालय हिंदी भाषा ज्ञान अनिवार्य होता है। 
3. कार्यालयी हिंदी भाषा की अपनी विशेषता है जिस्म अलग से दक्षता प्राप्त करनी पड़ती है किंतु इसका अभी यह नहीं है की सामान्य हिंदी का महत्व कुछ काम है अपितु सामान हिंदी का ज्ञान अत्यंत आवश्यक और बुनियादी है। 
4. कार्यालयी हिंदी के शब्दों में अनेक अर्थ नहीं होते हैं अर्थात एक शब्द का एक ही निश्चित पारिभाषिक अर्थ होता है जिसके कारण सामान हिंदी के व्यक्तियों में इसका प्रयोग उसे वाक्य को अधिक सशक्त और पारिभाषिक बना देता है। 
5. कार्यालयी हिंदी पारिभाषिक शब्द संपदा से मुक्त होती है किंतु कार्यालय के अध्ययन से पहले आरंभ में कुछ शिक्षण वर्षों में हमें सामान्य हिंदी भाषा में प्रणीणता प्राप्त करना आवश्यक है क्योंकि इसके बिना सामान्य हिंदी को जाने विशिष्ट भाषा का ज्ञान संभव है।
6. शिक्षा के विचार के साथ कार्यालय हिंदी के पारिभाषिक भाषा की शब्द और प्रयोग अब सामान्य हिंदी में घुल मिल गया है। इस प्रकार हम देखते हैं कि कार्यालय हिंदी और सामान्य हिंदी में भिन्नताएं होते हुए भी सम्मान हिंदी की ओर कार्यालय हिंदी में अटूट संबंध है।


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