कार्यालय हिंदी और सामान्य हिंदी में अंतर।
सरकारी कार्यकालों की कार्य प्रणाली से अपरिचित लोगों को इस बात का ज्ञान नहीं होता है की सामान्य जीवन में जिस हिंदी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं वह कार्यालयीहिंदी नहीं है वह सामान्य बोलचाल की भाषा है लेकिन कार्यालयीहिंदी का स्वरूप सामान्य हिंदी की तरह ही व्याकरण सम्यत होता है परंतु इसमें कुछ विभिन्नताएं भी पाई जाती हैं जो निम्नलिखित है -
1. सामान्य हिंदी समाज को अपने व्यवहार की भाषा है इस भाषा का प्रयोग दैनिक क्रियाकलापों में किया जाता है वह अपनी अभिव्यक्ति को सहज रूप से संप्रेषित करने के लिए सरल शब्दावली का प्रयोग या चयन करता है जबकि कार्यालय हिंदी शासक वर्ग की भाषण इसका प्रयोग सामान्यतः सरकारी और अर्ध सरकारी और अन्य क्षेत्रों में किया जाता है सामान्यतः कार्यालय में सरकार के विभागीय कार्य वृत्ति का विवरण होता है।
2. सामान्य हिंदी का क्षेत्र व्यापक है वह प्रत्येक वर्ग या जान संघ संगम इस भाषा का प्रयोग करते हैं विभिन्न क्षेत्रों में सामान्य हिंदी में क्षेत्रीयता का प्रभाव परीक्षित होता है वह अपने क्षेत्र की बोलिया को शब्दों को सहजता से सामान्य हिंदी में स्वीकार कर लेता है लेकिन कार्यालयी हिंदी कार्यवृत्ति की अपनी एक विशिष्ट भाषा होती है कार्यालय की भाषारत संरचना और उसकी शब्दावली निर्माता द्वारा कार्यालय का कार्य सुचारू रूप से चलाया जा सकता है। इसमें परिवर्तन संभव नहीं होता है इसलिए प्रयोग की दृष्टि से कार्यालय हिंदी मानक होती है और सामान्य हिंदी अमानक होती है।
3. सामान्य हिंदी का प्रयोग कोई भी सामाजिक कर सकता है वह अपने दैनिक कार्यों की अतिरिक्त पत्र व्यवहार में भी इसका प्रयोग कर सकता है लेकिन कार्यालयी हिंदी में कार्यालय की अधिकारी कर्मचारी इसका प्रयोग कर सकते हैं कार्यालयी हिंदी अपर वर्तनीय होती है उसके लिए किसी एक शब्द के स्थान पर उसका पर्यायवाची शब्द नहीं हो सकता है।
4. सामान्य हिंदी का प्रयोग हुए राष्ट्र की बहु संख्या के लोगों के द्वारा किया जाता है और अधिकांश तौर पर संपर्क के लिए इसका प्रयोग भी करते हैं लेकिन कार्यालय की प्रयोग करता बहुत ही कम होती हैं कार्यालय हिंदी के कार्यप्रणाली और पद धर्म की अनुरूप उसके प्रयोग करता किसी संबंध होने पर भी कार्यालय हिंदी का प्रयोग एक जैसा प्रयोग करते हैं।
5. सामान्य हिंदी पूर्णतया अनौपचारिक होती है और उसे पर अन्य भाषाओं पर बोलियां का प्रभाव सहज रूप से पड़ता है। इसलिए सामान हिंदी को उन्मुक्त और स्वच्छंद भाषा कहा जाता है इसमें थोड़ी दूर पर हिंदी पर अपेक्षित परिवर्तन सहज रूप से दिखाई देता है लेकिन कार्यालयी अनौपचारिक होती है वह भाषा की संरचनाओं के भीतर रहकर ही कार्य करती है
6. समान हिंदी में सामान्य जन अपने लोग की मुहावरे लोकोक्तियां और व्यंजनात्मक शब्दों का प्रयोग करता है लेकिन कार्यालय हिंदी में मुहावरे तथा लक्ष्य व्यंजनात्मक का प्रयोग पूर्णतया वर्जित है।
7. समान हिंदी में राष्ट्र के लोगों की सांस्कृतिक धार्मिक और राजनीतिक चेतना विद्यमान रहती है वह भारत राष्ट्र की आत्मा की प्रतिध्वनि है और सांस्कृतिक सामाजिक कार्यों को करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है लेकिन कार्यालय हिंदी में शासन लाभ और संवैधानिक विधाओं का विवेचन किया जाता है वह पूर्णतया निर्वैतिक होती है।
8. समान हिंदी और कार्यालय हिंदी में विशेष अंतर उसके शब्दावली को लेकर भी है जहां कार्यालय हिंदी में परिभाषित शब्दावली का प्रयोग किया जाता है वही सामान हिंदी में इसका प्रयोग संभव नहीं है।
Abhay Maurya
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