होयल की परिकल्पना ||orgin of earth part 6||knowledge point By Abhay Maurya

 होयल और लिटिलिटन की परिकल्पना 

दोनों विद्वान कैंब्रिज विश्वविद्यालय में गणितज्ञ थे इन्होंने 1939 ईस्वी में सौर्य परिवार की रचना के बारे में बताया। 

रचना की परिकल्पना न्यूक्लियर फिजिक्स से संबंधित थी जिसकी व्याख्या 'nature of the universe' मैं कीथी। 

लिटिलिटानके अनुसार ब्रह्मांड में 3 तरे थे।

  • सूर्य 
  • साथी तारा 
  • पास आता हुआ अन्य तारा। 

इन्होंने साथी तारे के विघटन से प्राप्त पदार्थोंसे ग्रहका नर्माण किया। होयल के अनुसार तारे हाइड्रोजन से बनी थी यह तारे ब्रह्मांड में बिखरे हुई गैस राशि का कुछ ग्रहण करके धीरे-धीरे आकार बढ़ते गए तापमान बढ़ने लगा जिससे तारे विघटन को कायम रखने के लिए हाइड्रोजन का उपयोग तीव्रतासे करने लगे हाइड्रोजन की समाप्ति हुई जिस कारण केंद्रीय आकर्षण एवं अपवित प्रक्रिया प्रारंभ हुई। 

साथी तारा ध्वस्त हो गया जिस कारण भयंकर विस्फोट की स्थिति हुई जिससे गैस की विशाल धूल राशि का अभिभाव हुआ उसमें घनी भवन का उभरा हुआ जिससे ग्रह बने साथी तारे मैं भयंकर विस्फोट से अत्यधिक उष्मा उत्पन्न हुई जिससे तापमान अधिक हुआ तापमान बढ़ने से ग्रह की पदार्थ मैं भारीपन आया इसलिए वर्तमान ग्रह भारी पदार्थ से बने हैं। 

इन्होंने ग्रहण का निर्माण शुरू से नहीं माना बल्कि साथी तारे से माना है।


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