रसेल की परिकल्पना rasel ki parikalpana
रसेल की परिकल्पना rasel ki parikalpana
- सूर्य एवं विशालकाय तारे के बीच की दूरी/सूर्य एवं ग्रह की वर्तमान दूरी।
रसेल ने सूर्य की अतिरिक्त दो और तारे साथी तारे एवं विशालकाय तारे को ब्रह्मांड में उपस्थित माना।
सूर्य का एक साथी तारा सूर्य की परिक्रमा कर रहा था। दोनों तारों के बीच की दूरी 48 से 64 लाख किलोमीटर माना सूर्य और विशालकाय तारे की बीच की दूरी अधिक थी जिससे सूर्य पर विशालकाय तारे का प्रभाव नहीं पड़ा बल्कि उसका प्रभाव साथी तारा पर अधिक पड़ा। जब विशालकाय साथी तारा अपने मार्ग पर आगे बढ़ रहा था तो वह साथी तारे के समित पहुंचा जिस साथी तारे में जारी शक्ति उत्पन्न हुआ जिसके कारण आकर्षण शक्ति अधिक हो गई उसमें उभार आ गया कुछ पदार्थ बाहर निकाला पदार्थ जो ठंडी होकर ग्रह बन गए।
इन्होंने ग्रह का निर्माण की उत्पन्न आकर्षण शक्ति से ग्रहों में ज्वार की उत्पत्ति हुईं ग्रहों से पदार्थ की अलग होने पर उनके बीच घनी भवन हुआ।
मूल्यांकन
- साथी तारों से ग्रह की उत्पत्ति बताया है लेकिन इन्होंने इसका अवशिष्ट भाग पर प्रकाश नहीं डाला।
- सभी ग्रह यदि सूर्य की परिक्रमा करने लगी तो साथी तारे का अवशिष्ट बाग कहां चला गया।
- वह सूर्य काचक्कर क्यों नहीं लगाया यहां विरोधाभास की उत्पत्ति हुई।
- सभी ग्रह सूर्य की आकर्षण परिधि में कैसे आए इसका उल्लेख रसेल ने नहीं किया।
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