पृथ्वी की उत्पति orgin of earth part 2 ||knowledge point by Abhay maurya

 

पृथ्वी की उत्पति orgin of earth part 2

लाप्लास की निहारिका परिकल्पना 


लाप्लास की निहारिका परिकल्पना

फ्रांसीसी विद्वान लाप्लास महोदय ने सन् 1796  Exposition of the world System पुस्तक संशोधन किये काण्ट के परिकल्पना में 3 दोष बताये।
खादय पदायों के आपसी टकराव से प्रयाप्त ऊष्मा उत्पद्म नहीं हो सकती खाद्य पढ़ायें। के आपसी टकराव से प्रयाप्त गति उत्पन नही सकती थी.
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निहारिका के आकार में वृद्धि के साथ गति में वृद्धि नहीं हो सकती।

- सबसे पहले निहारिका विशाल तप्त गति की अवस्था में था गति लगातार कम कारण उनमें संकुचन, हो की स्थिती हुई जिस जिस कारण निहारिका सिकुडेन लगी उसमें उष्मा का हास हुआ। जिस कारण आकार एवं आयतन लेने से में कमी औ साफ केन्द्रो पर पसरित बल की उत्पत्ति निहारिका के मध्य भाग में उभार हो गया जिसमें से एक छल्ला बाहर निकला जो 9 भागा में बट गया प्रत्येक छल्लों में दूरी बढ़ती गयीं।

Laplas ki niharika parikalpana by Abhay maurya 



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