भारत में सूफी आंदोलन का शुरुआत कैसे हुआ और कहां से हुआ.
इस्लामी रहस्यवाद को ही सूफी धर्म कहा जाता है सूफी धर्म एक सम्प्रदाय भी है और एक आन्दोलन भी इसने भारत में दिल्ली सल्तनत स्थापित होने (1206 ई.) के (1 कई वर्षों पूर्व प्रवेश किया था, लेकिन दिल्ली में तुर्की शासन की स्थापना के पश्चात् ही. बाहरी इस्लामी देशों से सूफी एक बड़ी (1 संख्या में भारत में आए और इसके विभिन्न भागों में बस गए, सूफी इस्लाम के प्रचारक नहीं, बल्कि वे पूर्ण आध्यात्मिक विकास के अग्रदूत थे, उन्होंने मानवता की सेवा की
मध्यकाल के दौरान ब्राह्मण धर्म के कर्मकाण्ड और इस्लाम धर्म में कट्टरपंथियों के प्रभाव को कम करने के लिए धार्मिक सुधार हुए 10वीं शताब्दी के पश्चात् परम्परागत रूढ़िवादी प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाने के लिए इस्लाम एवं हिन्दू-धर्म में दो महत्वपूर्ण रहस्यवादी आन्दोलन 'सूफी' एवं 'भक्ति' का आरम्भ हुआ. सूफी मुसलमान धर्म के बाहरी आडम्बरों को अस्वीकार करते हुए ईश्वर के प्रति प्रेम और भक्ति तथा सभी मनुष्यों के प्रति दयाभाव रखने पर बल देते थे. इस्लाम ने एकेश्वरवाद यानी एक अल्लाह के प्रति सम्पूर्ण समर्पण का दृढ़ता से प्रचार किया उसने मूर्तिपूजा को अस्वीकार कर दिया और उपासना पद्धतियों को सामूहिक प्रार्थना 'नमाज' का रूप देकर उन्हें काफी सरल बना दिया.
• सूफी शब्द की उत्पत्ति अरबी शब्द 'सूफ' (ऊन) से हुई, जो एक प्रकार से ऊनी वस्त्र का सूचक है, जिसे प्रारम्भिक सूफी लोग पहना करते थे आचार-विचार से पवित्र ये लोग 'सूफी' कहलाए सूफी संत ईश्वर की 'प्रियतम' और स्वयं को 'प्रियतमा' मानते थे उनका विश्वास था कि ईश्वर की प्राप्ति 'प्रेम' एवं 'संगीत' से की जा सकती है. तुर्की आधिपत्य के काल में जब देश का जनजीवन घुटन का अनुभव कर रहा था तब सूफी खानकाह ने सामाजिक संदेश फैलाने तथा सुधारवादी राजनीति का उन्माद पैदा करने का काम किया.
हसन बसरी को प्रथम सूफी संत माना
जाता है और रबिया को प्रथम और
अन्तिम सूफी महिला संत माना जाता है.
जो लोग सूफी संतों से शिष्यता ग्रहण
करते हैं उन्हें 'मुरीद' और सूफी. जिन
आश्रमों में निवास करते थे उसे 'खानकाह' कहा जाता था.
सूफी सिलसिले दो वर्गों में विभाजित थे-
(1) वाशरा इस्लामी सिद्धान्त 'शरा' को मानने वाले
(ii) बेशरा इस्लामी सिद्धान्तों से बँधे नहीं थे, वे अधिकतर घुमक्कड़ सूफी संत होते थे.
मुस्लिम विद्वानों (उलेमा) ने 'शरियत' नाम से एक धार्मिक कानून बनाया सूफी लोगों ने मुस्लिम धार्मिक विद्वानों द्वारा निर्धारित विशुद्ध कर्मकाण्ड और आचार संहिता को बहुत कुछ अस्वीकार है.
• संत कवियों की तरह सूफी लोग भी अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए काव्य रचना किया करते थे. गद्य में एक विस्तृत साहित्य तथा कई किस्से कहानियाँ इन सूफी संतों के इर्द-गिर्द विकसित हुईं
• मुस्लिम स्रोत के आधार पर लगभग 175 सूफी सिलसिलों के अस्तित्व की बात कही जाती है, लेकिन अबुल फजल ने अपने 'आईन-ए-अकबरी' में केवल 14 सूफी सिलसिलों के बारे में उल्लेख किया कुछ प्रमुख सिलसिले एवं सम्प्रदाय इस प्रकार हैं-
चिश्ती सिलसिला
'चिश्ती धर्म संघ' की स्थापना ख्वाजा अबू अहमद अब्दुल चिश्त (874-965 ई.) ने हेरात में की थी. भारत में चिश्तिया सम्प्रदाय के प्रथम सन्त शेख मुईनुद्दीन चिश्ती थे ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती 1192 ई में शिहाबुद्दीन मुहम्मद गोरी की सेना के साथ भारत आए थे जनसाधारण में वे 'ख्वाजा' के नाम से विख्यात हैं. उनकी गतिविधियों का मुख्य केन्द्र 'अजमेर' था. उनका कथन था कि "जब हम बाह्य बन्धनों को पार कर जाते हैं और चारों ओर देखते हैं, तो प्रेमी-प्रेमिका और स्वयं प्रेम एक ही लगते हैं-अर्थात् एकेश्वर के समक्ष वे सभी एक हैं." चिश्ती सम्प्रदाय के संत सादगी और निर्धनता में आस्था रखते थे.. •
शेख मुईनुद्दीन चिश्ती के शिष्यों में शेख हमीउद्दीन और शेख कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी काफी लोकप्रिय थे.
Copyrighted material form Drishti IAS
0 टिप्पणियाँ